Hindi Varnamala: हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हमें खुद को भारतीय के रूप में पहचानने में मदद करती है। हमारे देश में अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे सभी लोग हिंदी भाषा समझते हैं। हिंदी भाषा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश में 120 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। लेकिन अगर आप किसी से Hindi Varnamala के बारे में पूछें, तो इसके बारे में कोई नहीं जानता। मुझे बहुत बुरा लगता है जब लोग Hindi Varnamala नहीं जानते। आज हम हिंदी वर्णमाला सीखेंगे।
अंग्रेजी भाषा में 26 अक्षर उपलब्ध हैं, उसी प्रकार हिंदी भाषा में भी अक्षर उपलब्ध हैं। इन अक्षरों को हिंदी भाषा में हिंदी अक्षरमाला या वर्णमाला के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में 44 अक्षर होते हैं, जिसमें ग्यारह स्वर एवं 33 व्यंजन हैं।दरअसल, प्रत्येक भाषा अपने आप में एक व्यवस्था है। हिंदी में भी सभी वर्णों को एक व्यवस्था में रखा गया है, जिसे हम उस भाषा की वर्णमाला के नाम से जानते हैं।
वर्ण किसे कहते हैं (Varn Kise Kahate Hain)
वर्णमाला : वर्गों के व्यवस्थित समूह को ‘वर्णमाला’ कहते हैं।
वर्ण : भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। इस ध्वनि को ‘वर्ण’ कहते हैं।
NOTE-जैसे राम शब्द में दो अक्षर-(राम) एवं वर्ण चार हैं-(र आ म् अ)
हिन्दी वर्णमाला : पुनर्विलोकन जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के तथा बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है, उन्हें क्या कहते हैं? – स्वर


- स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें क्या कहते । हैं?- ह्रस्व स्वर
- जिन स्वरों के उच्चारण में हस्व स्वरों से अधिक समय लगता है, उन्हें क्या कहते हैं? – दीर्घ स्वर
- ह्रस्व स्वर हैं- अ, इ, उ, ऋ
- मूल स्वर है – अ, इ, उ, ऋ
- दीर्घ स्वर हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ,ओ, औ
- मूल दीर्घ स्वर हैं – आ, ई, ऊ,ऋ
- संयुक्त स्वर हैं- ए, ऐ, ओ, औ
इन्हें भी जान
- आगत स्वर हैं- आँ
- अग्र स्वर हैं – इ, ई, ए, ऐ
- जिह्वा के मध्य स्वर हैं- अ
- पश्च स्वर हैं- आ, उ,ऊ, ओ, औ,ऑ
- संवृत स्वर हैं – ई, ऊ
- अर्द्ध संवृत हैं – इ, उ
- मध्य विवृत हैं – आ, ऐ, औ
- अर्द्ध विवृत हैं – ए, अ, ओ, ऑ
- कुल व्यंजनों की संख्या- (41)
- मूल व्यंजनों की संख्या है-(33)
- स्पर्श व्यंजनों की संख्या- (25)
- उत्क्षिप्त व्यंजनों की संख्या- (2)
- अंतःस्थ व्यंजनों की संख्या- (4)
- ऊष्म व्यंजनों की संख्या -(4)
- आगत व्यंजनों की संख्या – (2)
- संयुक्त व्यंजनों की संख्या- (4)
- संयुक्त व्यंजन-क्ष (क् + ष), त्र ( + र), ज्ञ (ज् + र), श्र (श् +र)
- क-वर्ग ध्वनियाँ हैं – क, ख, ग, घ, ङ
- च-वर्ग ध्वनियां हैं – च्, छ, ज, झ, ञ्
हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnamala) में कुल अक्षरों की संख्या 52 होती है।

पुनः ध्यान दें!
- वर्ण विचार स्वर : अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ (11)
- अनुस्वर : अं
- अनुनासिक: अं
- विसर्ग: अः
- व्यंजन : कवर्ग- क ख ग घ
- च वर्ग- च छ ज झ ज़ फ़
- ट वर्ग- ट ठ ड ण ढ़
- त वर्ग- त थ द ध न
- प वर्ग- प फ ब भ म –
- अन्तःस्थ- य र ल व
- ऊष्म- श ष स ह (33)
- संयुक्त व्यंजन-क्ष त्र ज्ञ श्र
- ट-वर्ग ध्वनियाँ हैं-ट,, ड्, द, ण् (इ, ढू)
- त-वर्ग ध्वनियाँ हैं-त्, थ, द,घ, न
- प-वर्ग ध्वनियाँ हैं- प, फ, ब, भ, म् ।
- अन्तःस्थ व्यंजन हैं- य, र, ल, व
- ऊष्य हैं- श, ष, स, ह
- आगत व्यंजन है-ज फ़
- संयुक्त व्यंजन है-क्ष,त्र, ज्ञ, श्र
- अर्धस्वर हैं- य,र,ल,व
- लुंठित व्यंजन हैं – र
- पाश्विक व्यंजन है-ल
- ऊष्म-संघर्षी व्यंजन हैं-स, श, ष,ह
- उत्क्षिप्त व्यंजन हैं- इ,ढ़
- भाषा की सार्थक इकाई – वाक्य
- वाक्य से छोटी इकाई – उपवाक्य
- उपवाक्य से छोटी इकाई – पदबंध
- पदबंध से छोटी इकाई – पद (शब्द)
- अक्षर से छोटी इकाई – ध्वनि (वर्ण)
सघोष व्यंजन हैं– प्रत्येक वर्ग के ततीय चतर्थ पंचम वर्ण तथा ड़,ढ़,ज, य, र, ल, व,ह (एवं सभी स्वर सघोष हैं
अघोष व्यंजन हैं– प्रत्येक वर्ग के प्रथम और द्वितीय वर्ण तथा फ़, श, ष, स
अल्पप्राण व्यंजन है– प्रत्येक वर्ग में प्रथम, तृतीय, पंचम वर्ण तथा अन्तःस्थ वर्ण (य, र, ल, व) .
महाप्राण व्यंजन हैं– प्रत्येक वर्ग के द्वितीय व चतर्थ वर्ण तथा ऊष्म वर्ण (श, ष, स, ह)
नासिक्य व्यंजन हैं– इ, उ, ण, न्,म् ।
तालव्य व्यंजन है– च, छ,
मूर्धन्य व्यंजन है-ट्, ठ, ड्,द, (ढ),ण, ष त्, थ्, द, ध, न्
ओष्ठ्य व्यंजन हैं– पू, फ (फ़), बू, भ,म्
दंत्योष्ठ्य व्यंजन हैं– व
अयोगवाह- अनुस्वार: (-),
विसर्ग: (:)
स्पर्श रहित/काकल्य ध्वनि/ स्वरयंत्रामुखी/घोष ध्वनि/ऊष्म संघर्षी । ध्वनि हैं– ‘ह’
स्वर तंत्रियों में कंपन के आधार पर वर्गीकरण


अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर

प्रयत्न स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण
Hindi Varnamala

हिंदी व्यंजन की मात्रा (Hindi Vyanjan Ki Matra)

प्रयत्न विधि के आधार पर वर्गीकरण

प्राण वायु के आधार पर वर्गीकरण

स्वर (Sawar Akshar in Hindi)
हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर होते हैं। हिंदी वर्णमाला में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ इत्यादि स्वर होते हैं। ॠ, ऌ एवं ॡ को हिंदी वर्णमाला में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि इन वर्णों का संस्कृत भाषा में किया जाता है।
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
Hindi
अ | आ | इ | ई |
उ | ऊ | ऋ | ए |
ऐ | ओ | औ |
व्यंजन (Vyanjan in Hindi)
Hindi Varnamala में 33 व्यंजन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं।
क | ख | ग | घ | ङ |
च | छ | ज | झ | ञ |
ट | ठ | ड | ढ़ | ण |
त | थ | द | ध | न |
प | फ | ब | भ | म |
य | र | ल | व | |
श | ष | स | ह |
संयुक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan)
दो या दो से अधिक व्यंजनों के योग से बने व्यंजनों को सयुंक्त व्यंजन (Sanyukt Vyanjan) कहते हैं
- क्ष = क् + ष
- त्र = त् + र
- ज्ञ = ग् + य
- श्र = श् + र
हिंदी वर्णमाला के 52 अक्षर (Hindi Varnamala Chart)
वर्ण किसे कहते हैं (Varn Kise Kahate Hain)
वर्ण की परिभाषा – वह मूल ध्वनि का वह लिखित रूप जिसके टूकड़े नहीं किए जा सकते, उसे वर्ण (Varn) कहते है। हिंदी की सबसे छोटी इकाई वर्ण (Varn) होता है। हम जो भी बोलते हैं, वह एक ध्वनि होती है। हमारे मुँह से उच्चारित अ, आ, क, ख, ग आदि ध्वनियाँ हैं।
वर्ण के दो भेद होते हैं।
- स्वर
- व्यंजन
स्वर किसे कहते हैं (Swar Kise Kahate Hain)
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी बाधा के और बिना किसी अन्य अक्षर की सहायता से स्वतंत्र रूप से किया जाता है, स्वर कहलाते हैं।
स्वर की मात्राएँ ( character quantities)
जब स्वर मदद करते हैं या किसी व्यंजन के साथ प्रयोग किए जाते हैं, तो उनका रूप बदल जाता है जिसे हम स्वर मात्रा कहते हैं। प्रत्येक स्वर की वर्ण मात्रा भिन्न होती है। अ की कोई मात्रा (मात्रा) नहीं है।
SWAR | MATRAYEN | EXAMPLE |
अ | NO MATRA | क्+अ=क |
आ | ा | क्+ा=का |
इ | ि | क्+ि= कि |
ई | ी | क्+ी=की |
उ | ु | क्+ु=कु |
ऊ | ू | क्+ू=कू |
ऋ | ृ | क्+ ृ =कृ |
ए | े | क्+े=के |
ऐ | ै | क्+ै= कै |
ओ | ो | क्+ो=को |
औ | ौ | क्+ौ=कौ |
अं | ( ं ) | क्+( ं )=कं |
अः | ( ः) | क्+( ः) =कः |
स्वरों का उच्चारण स्थान
उच्चारण स्थान | pronunciation place | स्वर |
कंठ | Throat/glottal | अ, आ |
तालु | velars | इ ,ई |
ओष्ठ | Lips | उ , ऊ |
मूर्धा | hard palate | ऋ |
कंठ तालव्य | throat+velars | ए, ऐ |
कण्ठोष्ठ्य | throat+lips | ओ ,औ |
स्वरों का वर्गीकरण – Classification of vowels
उच्चारण समय के आधार पर: इस आधार पर स्वर को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया है ह्रसवा, डीर्घ और प्लूट स्वर।
ह्रस्व स्वर Hrasva swar or short vowel
- जिन स्वरों के उच्चारण में सबसे कम समय लगता है, उन्हें हृश्व स्वर कहते हैं।
- इन स्वरों को स्वतंत्र स्वर कहा जाता है क्योंकि अन्य स्वर इनके निर्माण के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं। ह्रस्व स्वर के उच्चारण में काफी समय लगता है। इसलिए इन्हें एक राशि (एक मात्रिक) स्वर भी कहा जाता है।
- अ ,इ ,उ ,ऋ
- इन स्वरों को लघु (लघु) या मूल स्वर भी कहा है,
संधि/दीर्घ/गुरु स्वर SANDHI /DEERGH/ GURU
वे स्वर जिनका उच्चारण लघु स्वर या हृस्व स्वर से 2 गुना अधिक समय लेता है, दीर्घ स्वर या दीर्घ स्वर कहलाते हैं।
वे स्वर जिनके उच्चारण में मूल स्वरों की सहायता लेनी पड़ती है, संधि स्वर कहलाते हैं।
ये स्वर 2 मात्रा के बराबर समय लेते हैं, इसलिए इन्हें द्विमात्रिक स्वर (दोगुनी मात्रा) के रूप में जाना जाता है। संधि या दीर्घ स्वर दो प्रकार के होते हैं –
मूल दीर्घ स्वर (mool deergh swar)
ये स्वर एक ही स्थान से बोले जाने वाले दो सजातीय स्वरों या स्वरों से बनते हैं, जिन्हें मूल देर्घ स्वर या समरूप स्वर (सचेत स्वर) कहा जाता है।
:- अ +अ =आ
इ +इ =ई
उ +उ =ऊ
Sanyukt swar(संयुक्त स्वर )
वे स्वर जो दो बहिर्जात या भिन्न-भिन्न स्वरों या भिन्न-भिन्न स्थानों से बोले जाने वाले स्वरों से बनते हैं, संयुक्त या संयुक्त स्वर कहलाते हैं।
अ +इ =ए
अ +ए =ऐ
अ +उ =ओ
अ +ओ =औ
Plut(प्लुत ) swar
वे स्वर जो दीर्घ स्वरों से अधिक समय लेते हैं, प्लुत स्वर कहलाते हैं। इसका प्रयोग किसी को बुलाने या नाटक संवादों में किया जाता है।
यह स्वर एक तीन अंक(3) की तरह दिखता है।
ओ३म्, मो३हन
जीभ के प्रयोग के आधार पर
इस आधार पर स्वरों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है आगरा, मध्य और पश्च स्वर।
अग्र स्वर
जिन स्वरों में जीभ का अग्र भाग कार्य करता है, उन्हें अग्र स्वर या अग्र स्वर कहते हैं। जैसे-
इ ,ई ,ए ,ऐ ,ऋ
मध्य स्वर (middle vowel)
जिन स्वरों में जीभ का मध्य भाग कार्य करता है, उन्हें मध्य स्वर कहते हैं : – अ
पश्च स्वर (back swar)
जिस स्वर में जीभ का पिछला भाग कार्य करता है, उसे पश्च स्वर कहते हैं:- आ ,उ ,ऊ ,ओ ,औ ,ॉ
मुँह खुलने के आधार पर
Open(विवृत्त ) swar
वे स्वर जिनमें मुख का द्वार पूर्णतः खुला होता है, खुले स्वर (विवृत्त) कहलाते हैं। जैसे:- आ
अर्द्ध विवृत्त half-open vowel
स्वर का उच्चारण करते समय यदि मुख (buccal) का खुलना आधा खुला हो, तो इसे आधा खुला (अर्द्ध विवृत्त स्वर) स्वर कहते हैं। जैसे:- अ, ए, औ
अर्द्ध संवृत half close
स्वरों का उच्चारण करते समय यदि मुख आधा बंद रहता है तो वह आधा निकट स्वर कहलाता है। जैसे- ए, ओ
संवृत्त स्वर (close)
यदि स्वर का उच्चारण करते समय मुंह लगभग पूरी तरह बंद हो जाता है, जिसे निकट स्वर कहते हैं। जैसे:- इ,ई,उ,ऊ
होठों की स्थिति के आधार पर
Avrittmukhi(आवृत्तमुखी )
स्वर का उच्चारण करते समय यदि होठों की स्थिति वृत्ताकार न हो तो वह अ वृत्ताकार या स्वर कहलाती है।
जैसे:- अ,आ,इ,ई,ए,ऐ,ऋ
circular(वृत्तमुखी )
स्वर उच्चारण करते समय यदि होठों की स्थिति वृत्ताकार हो तो वृत्ताकार या स्वर कहलाती है। जैसे:- उ, ऊ, ओ, औ ॉ
हवा के आधार पर मुंह या नाक से होठों की स्थिति के आधार पर
निरनुनासिक मौखिक niranunasik vowel
जिन स्वरों में मुख से ही वायु निकलती है, उन्हें निरानुनासिक स्वर कहते हैं: अ ,आ ,इ ,ई ,ए ,ऐ ,ऋ,उ ,ऊ ,ओ ,औ
Anunasik(अनुनासिक) vowel
जिन स्वरों से मुख और नाक से वायु निकलती है, उन्हें अनुनासिक स्वर कहते हैं। जैसे अँ, इँ आदि।
Pronunciation of Hindi Varnamala Swar in English and Hindi
Hindi Alphabets | Pronunciation of Hindi Alphabets in English | Hindi Alphabets and Words | Hindi Words in English | Images of Hindi Alphabet’s Words |
अ | a | अनार | Pomegranate | ![]() |
आ | aa | आम | Mango | ![]() |
इ | e | इमली | Tamarind | ![]() |
ई | ee | ईख | Sugarcane | ![]() |
उ | u | उल्लू | owl | ![]() |
ऊ | uu | ऊन | Wool | ![]() |
ए | ai | एक | One | ![]() |
ऐ | ae | ऐनक | Specs | ![]() |
ओ | o | ओखल | okhal | ![]() |
औ | au | औरत | Woman/Lady | ![]() |
अं | an | अंगूर | Grapes | ![]() |
अ: | ah | प्रातः काल | Morning | ![]() |
ऋ | hri | ऋषि | Saint | ![]() |
क | K | कबूतर | Pigeon | ![]() |
ख | Kh | खरगोश | Rabbit | ![]() |
ग | G | गमला | Flowerpot | ![]() |
घ | Gh | घड़ी | Watch | ![]() |
च | Ch | चम्मच | Spoon | ![]() |
छ | Chh | छतरी | Umbrella | ![]() |
ज | J | जहाज | Ship | ![]() |
झ | Jh | झरना | Waterfall | ![]() |
ट | T | टमाटर | Tomatoes | ![]() |
ठ | Th | ठेला | Trolley | ![]() |
ड | D | डमरू | Damru | ![]() |
ढ | Dh | ढक्कन | Lid | ![]() |
त | Ta | तवा | Tawa | ![]() |
थ | Th | थैली | Bag | ![]() |
द | D | दवा | Medicine | ![]() |
ध | Dh | धनुष | Bow | ![]() |
न | N | नल | Tap | ![]() |
प | P | पतंग | Kite | ![]() |
फ | Ph | फल | Fruit | ![]() |
ब | B | बत्तख | Duck | ![]() |
भ | Bh | भालू | Bear | ![]() |
म | M | मकड़ी | Spider | ![]() |
य | Y | यज्ञ | Yajna | ![]() |
र | R | रथ | Rath | ![]() |
ल | L | लट्टू | Latto | ![]() |
व | V | वट | Tree | ![]() |
श | Sh | शलजम | Turnip | ![]() |
ष | Sh | षट्कोण | Hexagon | ![]() |
स | S | साडी | Saree | ![]() |
ह | H | हल | Plow | ![]() |
क्ष | Ksh | क्षत्रिय | Kshatriya | ![]() |
त्र | Tra | त्रिशूल | Prong | ![]() |
ज्ञ | Gyan | ज्ञान | Knowledge | ![]() |
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